अच्छी फसल
जर्मनी की सेना का कोई उच्चाधिकारी किसी युद्ध के समय अपने शिविर से कुछ सैनिकों को साथ लेकर घोड़ों के लिए खास एकत्रित करने के लिए चले। समीप में एक गांव के किसान को उन्होंने पकड़ा और कहा, “चल कर बताओ कि इस गांव में किस खेत में अच्छी फसल है।”
विवश होकर किसान उन सैनिकों के साथ चल पड़ा। खेत लह-लहा रहे थे। बहुत उत्तम फसल थी। सैनिक चाहते थे कि उन खेतों की फसल काट लें, किंतु किसान बार-बार यही कहता चाहता था, “कुछ और आगे चलिए, आगे बहुत अच्छी फसल है।”
धीरे-धीरे किसान सैनिकों को लगभग गांव की सीमा के खेतों तक ले गया। वहां उसने एक खेत बतलाया। सैनिकों ने उस खेत से फसल काट कर गठ्ठे बांधे और घोड़ों पर रख लिए। सैनिक अधिकारी ने क्रोधित होकर किसान को डांटा, “तू व्यर्थ ही हमें इतनी दूर ले आया। इससे अच्छी फसल तो पास के खेतों में ही थी।”
किसान ने कहा, “मैं जानता था कि आप लोग खेत के स्वामी को फसल का मूल्य नहीं देंगे। इतना समझते हुए मैं किसी दूसरे का खेत बतला कर उसकी हानि कैसे करा सकता था? यह मेरा अपना खेत है। ये तो आप भी मानेंगे कि मेरे लिए तो इसकी फसल सबसे अच्छी फसल है।”
सैनिक अधिकारी लज्जित हो गया। उसने किसान को फसल के मूल्य के साथ पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
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