छोटा शेर बड़ा होने पर
ब्रिटिश राज्य के समय में एक ब्रिटिश फौजी अफसर भारतवर्ष में आया था। उसको शिकार का बहुत शौक था। एक बार जब वह शिकार करने गया तो उसको एक छोटा शेर का बच्चा मिल गया। बच्चा बड़ा ही प्यारा था। उसको घर साथ ले आया एवं बराबर साथ रखने लगा। यहां तक कि रात में भी उसको साथ सुलाता था।
काफी समय बाद एक दिन अचानक रात्रि में उस फौजी अफसर की नींद खुल गई। उसकी हथेलियों में जलन और दर्द हो रहा था एवं वह पसीने से तर-बतर हो गया था। उसने देखा वह शेर का बच्चा प्यार से उसका हाथ सहला रहा है। लेकिन वह शेर अब बड़ा हो चला था और उसके नाखून निकल आए थे। सहलाने के साथ-साथ नाखून से उस अफसर की हथेलियां खरोच रहा था और उन से खून बह रहा था।
फौजी था ही। उसके पास दूसरा चारा नहीं था। उसने तकिए के नीचे से रिवॉल्वर निकाली एवं शेर के बच्चे को ढेर कर दिया।
दोष अर्थात बुरी आदतें भी मानव जीवन में उस शेर के बच्चे की तरह धीरे-धीरे आने लगती हैं। आरंभ से वे दोष बहुत साधारण मालूम होते हैं एवं लगता है कि उनके आ जाने से कोई विशेष हानि नहीं होगी। उन देशों का समर्थन भी हम यह कह कर देते हैं कि ज़रा सी बात है, इससे कुछ नहीं बिगड़ेगा।
लेकिन जब वही दोष या बुरी आदतें समय पाकर पनप उठती हैं, मोटी-तगड़ी हो जाती हैं तो अपने असली स्वरूप में आकर मानव को रसातल में पहुंचा देने का कारण बन जाती हैं।
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